आशा दीप
AK-018 5th January 2019
आँखों में समन्दर, लिए दिल में तूफ़ान |
क्या सोच रहा है तू, ऐ माटी के इंसान ||
रुकना न फितरत तेरी, माना मुश्किल इम्तिहान |
काँटों पर चलकर ही मिलेगी, तुझे तेरी पहचान ||
पथरीली हों राहें, और हो मुश्किलें तमाम |
आशा दीप जलाता चल, हो न तू परेशान ||
मंज़िल की ओर कदम बढ़ाना, चाहे हो थकान |
सफर आसान बनाने, तेरे साथ चलेंगे भगवान ||
--- पूजा
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