Monday, 25 June 2018

अनमोल AK-011 25th June 2018




अनमोल क्षण AK-011 25th June 2018

अनमोल क्षण ! !
पुराने दिन ! !
काश लौट कर आ जाते ! !
खूबसूरत यादों की तरह
फिर से दिन और
महीनों की तरह ! !
फिर से चाँद और
सूरज की तरह ! !

मगर मालूम है मुझे ,
अब न लौटेंगे कभी
वो पुराने दिन दोबारा ! !
हाँ यादें हैं बेशकीमती
मुझमें नस और नाड़ियों
की तरह ! !

सम्भाल कर रखी है मैंने ,
यादों के दिये कुछ इस तरह ! !
बिलकुल हृदय की देहरी पर ! !
कभी कभार दोस्तों की
खूबसूरत लाड़ - प्यार के
दिये से रौशन हो जाता है
अंदर और बाहर ! !

कल ही देखा गुलाबों की
खूबसूरत पन्खुडियों को ! !
पुरानी किताब के पन्नों पर ! !
उसे देखते ही दोनों
खिलखिला उठे ! !
आहा ! !
वो अनमोल क्षण ! !
वो पुराने दिन ! !

Friday, 15 June 2018

तूफान AK-010 15th June 2018



तूफान 
AK-010 15th June 2018

अकेले पेड़ों का तूफ़ान

फिर तेजी से तूफ़ान का झोंका आया
और सड़क के किनारे खड़े

सिर्फ एक पेड़ को हिला गया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे

उनमें कोई हरकत नहीं हुई।
जब एक पेड़ झूम-झूम कर निढाल हो गया

पत्तियाँ गिर गयीं
टहनियाँ टूट गयीं

तना ऐंचा हो गया
तब हवा आगे बढ़ी

उसने सड़क के किनारे दूसरे पेड़ को हिलाया
शेष पेड़ गुमसुम देखते रहे

उनमें कोई हरकत नहीं हुई।
इस नगर में

लोग या तो पागलों की तरह
उत्तेजित होते हैं

या दुबक कर गुमसुम हो जाते हैं।
जब वे गुमसुम होते हैं

तब अकेले होते हैं
लेकिन जब उत्तेजित होते हैं

तब और भी अकेले हो जाते हैं।

Wednesday, 13 June 2018

मोहब्बत AK-009 14th June 2018

                                                                                                        मोहब्त AK-009 14th June2018

बहारों ने कभी फूलों की मक्कारी नहीं देखी
निभाई हो कभी शूलों ने भी यारी, नहीं देखी

यहाँ छोटी बड़ी हर बात पर तुम रूठ जाते हो
ख़ुदाया हमने तो ऐसी अदाकारी नहीं देखी

हमारी राह में काँटे बिछाने से न कुछ होगा
हमारे इस सफ़र की तुमने तैयारी नहीं देखी

यहाँ अपने पराये में सदा ही भेद रहता है
परिन्दों में कभी हमने ये बीमारी नहीं देखी

अगर उनसे मुहब्बत थी तो खुलकर कह दिया होता
मगर शब्दों की हमने ऐसी ख़ुद्दारी नहीं देखी

'शरद' अब भी ग़ज़ल के साथ इक घर में ही रहता है
कभी लोगों ने उसकी कोई लाचारी नहीं देखी

जम्हूरीअत AK-019 20th May 2019 ik

जम्हूरीअत AK-019 20th May 2019 जम्हूरियत का नशा इस कदर हावी हुआ हर सख्स इंसानियत भूलकर हैवानी हुआ इस दौर मैं क्या होगा आगे मत पूछ म...