अनमोल क्षण AK-011 25th June 2018
अनमोल क्षण ! !
पुराने दिन ! !
काश लौट कर आ जाते ! !
खूबसूरत यादों की तरह
फिर से दिन और
महीनों की तरह ! !
फिर से चाँद और
सूरज की तरह ! !
मगर मालूम है मुझे ,
अब न लौटेंगे कभी
वो पुराने दिन दोबारा ! !
हाँ यादें हैं बेशकीमती
मुझमें नस और नाड़ियों
की तरह ! !
सम्भाल कर रखी है मैंने ,
यादों के दिये कुछ इस तरह ! !
बिलकुल हृदय की देहरी पर ! !
कभी कभार दोस्तों की
खूबसूरत लाड़ - प्यार के
दिये से रौशन हो जाता है
अंदर और बाहर ! !
कल ही देखा गुलाबों की
खूबसूरत पन्खुडियों को ! !
पुरानी किताब के पन्नों पर ! !
उसे देखते ही दोनों
खिलखिला उठे ! !
आहा ! !
वो अनमोल क्षण ! !
वो पुराने दिन ! !
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