Tuesday, 30 October 2018

जीवन का आधार AK-015 29th October 2018



जीवन का आधार 
AK-015 29th October 2018

चल पड़े हैं अनजान राहों पर लड़खड़ाते हुए यह कदम |
पा ही लेंगे मंजिल को अब तो गति होगी न कभी कम ||

विश्वास की जलाके मशाल चीरेंगे अंधकार का सीना |
बनेगा कीमती मोती डगर-ऐ-मंज़िल पर टपका पसीना ||

चेहरे पर ले तेज सूर्य का जीतेंगे हर दिल को साक़ी |
हथेली पर जलाकर दीप हम बनाएँगे आशा को बाती ||

अपनाकर काँटों का हार और सुनकर दिल की पुकार |
लिए धधकते शोले आँखों में पार कर लेंगे मझधार ||

मिटकर भी न जो हो फ़ना बनेंगे ऐसी माटी कि मूरत |
पाकर क्षितिज की गरिमा को हम लेंगे जग से इजाज़त ||

अलविदा फूलों की सेज, बिछौना बनाना है पथरीली राह को |
मन में लिए किरण उम्मीद की नमन करना है खुदा को ||

हमसफर बना गीतों को ‘पूजा’ करना है ग़म का सागर पार |
पाना है सपनों का संसार, यही तो है जीवन का आधार ||

----- पूजा

Monday, 29 October 2018

एहसास AK-014 30th October 2018


एहसास 
AK-014 30th October 2018

टूटा यह दिल तो साक़ी आवाज़ भी न आई
एहसास न हुआ बहार संग पतझड़ है लाई |
बेखबर तूफ़ान से हम घरौंदा बनाते गए
एक ही पल में सपने वो सारे बिखर गए |
बादल जो गरजे हम समझे बरखा आई
पर जाने कब चुपके से घनघोर घटा छाई |
आँखें बिछाए बैठे थे हम हँसी की राह में
अनजान थे कि पड़े हैं दुःख की छाँव में |
काँटे चुनने निकले थे हम तो औरों की राह से
बिछ गए हमारी ही राह में काँटें जाने कहाँ से |
पानी ढूँढ रहे थे साक़ी तपते रेगिस्तान में हम
भूल गए थे यहाँ नज़रों के धोखे नहीं कम |
विश्वास था कर जाएँगे सागर हम पार |
क्या पता था थाम लेगी कदम मझधार |
हौंसला बुलंद कर मंज़िल की तलाश में ‘पूजा’ हम चलते गए
एहसास न हुआ कारवाँ कब निकल गया - निशाँ ही हैं रह गए |

---- पूजा

Friday, 12 October 2018


 जिन्दगी
AK-013 12th October 2018
          
अंधियारे की गोद में जलता दीपक है ज़िन्दगी |

कभी धरती तो कभी ऊँचा फलक है ज़िन्दगी ||

श्रण-भंगुर पानी का बुलबुला है ज़िन्दगी |

बिखरे अरमानों का ज़लज़ला है ज़िन्दगी ||

नहीं जिसका कोई मरहम वो रिस्ता घाव है ज़िन्दगी |

आज तेज़ धुप तो कल शीतल छाँव है ज़िन्दगी ||

आँखों से छलकता पैमाना है ज़िन्दगी |

दर्दे-दिल छुपाकर मुस्कुराना है ज़िन्दगी ||

पलकों पर सजा हसीन ख्व़ाब है ज़िन्दगी |

बादलों की ओट से झाँकता आफ़ताब है ज़िन्दगी ||

डूबते सूरज की अदभुत दास्ताँ है ज़िन्दगी |

मंजिल की तलाश में बढ़ता कारवाँ है ज़िन्दगी ||

---- पूजा

जम्हूरीअत AK-019 20th May 2019 ik

जम्हूरीअत AK-019 20th May 2019 जम्हूरियत का नशा इस कदर हावी हुआ हर सख्स इंसानियत भूलकर हैवानी हुआ इस दौर मैं क्या होगा आगे मत पूछ म...