Friday, 12 October 2018


 जिन्दगी
AK-013 12th October 2018
          
अंधियारे की गोद में जलता दीपक है ज़िन्दगी |

कभी धरती तो कभी ऊँचा फलक है ज़िन्दगी ||

श्रण-भंगुर पानी का बुलबुला है ज़िन्दगी |

बिखरे अरमानों का ज़लज़ला है ज़िन्दगी ||

नहीं जिसका कोई मरहम वो रिस्ता घाव है ज़िन्दगी |

आज तेज़ धुप तो कल शीतल छाँव है ज़िन्दगी ||

आँखों से छलकता पैमाना है ज़िन्दगी |

दर्दे-दिल छुपाकर मुस्कुराना है ज़िन्दगी ||

पलकों पर सजा हसीन ख्व़ाब है ज़िन्दगी |

बादलों की ओट से झाँकता आफ़ताब है ज़िन्दगी ||

डूबते सूरज की अदभुत दास्ताँ है ज़िन्दगी |

मंजिल की तलाश में बढ़ता कारवाँ है ज़िन्दगी ||

---- पूजा

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