जीवन का आधार
AK-015 29th October 2018
चल पड़े हैं अनजान राहों पर लड़खड़ाते हुए यह कदम |
पा ही लेंगे मंजिल को अब तो गति होगी न कभी कम ||
विश्वास की जलाके मशाल चीरेंगे अंधकार का सीना |
बनेगा कीमती मोती डगर-ऐ-मंज़िल पर टपका पसीना ||
चेहरे पर ले तेज सूर्य का जीतेंगे हर दिल को साक़ी |
हथेली पर जलाकर दीप हम बनाएँगे आशा को बाती ||
अपनाकर काँटों का हार और सुनकर दिल की पुकार |
लिए धधकते शोले आँखों में पार कर लेंगे मझधार ||
मिटकर भी न जो हो फ़ना बनेंगे ऐसी माटी कि मूरत |
पाकर क्षितिज की गरिमा को हम लेंगे जग से इजाज़त ||
अलविदा फूलों की सेज, बिछौना बनाना है पथरीली राह को |
मन में लिए किरण उम्मीद की नमन करना है खुदा को ||
हमसफर बना गीतों को ‘पूजा’ करना है ग़म का सागर पार |
पाना है सपनों का संसार, यही तो है जीवन का आधार ||
----- पूजा
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